गणेश परिक्रमा में जुटे बीजेपी के निगम पार्षद… नगर निगम के काम में नहीं रही दिलचस्पी

-चिकित्सा सहायता एवं जन स्वास्थ्य समिति की पहली बैठक का नहीं हुआ कोरम पूरा
-बीजेपी प्रदेश नेतृत्व की ओर से समितियों के चुनाव में हुई देरी से पार्षदों में नाराजगी

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के निगम पार्षदों का मन अब नगर निगम के कामों से उचट गया है। ज्यादातर निगम पार्षदों ने अपने आकाओं की गणेश परिक्रमा शुरू कर दी है। यही कारण है कि नगर निगम की विशेष और तदर्थ समितियों की बैठकों में निगम पार्षदों की संख्या लगातार घटने लगी है। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि कई समितियों की बैठकों में तो कोरम तक पूरा नहीं हो पा रहा है। बताया जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में नगर निगम के चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी पार्षदों को अपने टिकट की चिंता सताने लगी है।

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मंगलवार 12 अक्टूबर को उत्तरी दिल्ली नगर निगम की विशेष की श्रेणी में आने वाली चिकित्सा सहायता एवं जन स्वास्थ्य समिति की बैठक थी। समितियों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष एवं सदस्यों के चुनाव होने के पश्चात इस समिति की यह पहली बैठक थी। इस लिहाज से पार्षदों की इसमें ज्यादा दिलचस्पी होनी चाहिए थी। लेकिन निगम पार्षदों की अनुपस्थिति की वजह से इस बैठक का कोरम ही पूरा नहीं हो सका। गौरतलब है कि यह स्थिति तो तब है जब इस समय जल एवं मच्छर जनित बीमारियों का मौसम चल रहा है। दिल्ली में डेंगू और मलेरिया के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

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ऐसी ही स्थिति दूसरी विशेष और तदर्थ समितियों की बैठकों की रहने लगी है। पार्षदों का कहना है कि निगम और प्रदेश नेतृत्व का अधिकारियों के ऊपर कोई अंकुश नहीं रहा है। समितियों की बैठकों में लिये जाने वाले फैसलों पर अधिकारी कोई कार्रवाई ही नहीं करते। इन समितियों की बैठकों में नगर निगम से जुड़ी कोई जानकारी मांगी जाती है, तो वह भी अधिकारियों की ओर से नहीं दी जाती है। यदि कोई जानकारी दी भी जाती है तो केवल भ्रमित करने वाली होती है। जिसकी वजह से इन बैठकों में शामिल होने पर निगम पार्षदों का केवल समय ही बर्बाद होता है।
समितियों के चुनावों में देरी से भी घटी दिलचस्पी
एक वरिष्ठ महिला पार्षद ने बताया कि दिल्ली बीजेपी नेतृत्व ने समितियों के चुनाव कराने में बहुत देर कर दी है। जिसकी वजह से जिन पार्षदों को विभिन्न समितियों के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनने का मौका मिला है, उनके पास काम करने के लिए समय ही नहीं बचा है। जो पार्षद विभिन्न समितियों के सदस्य बनाये गये हैं, वह भी नहीं चाहते कि अब इस कार्यकाल के अंतिम समय में इन समितियों की बैठकों में शामिल होकर अपना समय बेकार जाया करें।
प्रदेश नेतृत्व के प्रति नाराजगी
सूत्रों का कहना है कि नगर निगम की विशेष एवं तदर्थ समितियों के चुनाव कराने में प्रदेश बीजेपी नेतृत्व ने बिना मतलब देरी की है। यह चुनाव जुलाई में ही जो जाने चाहिए थे। लेकिन अब अक्टूबर में आकर हुए हैं। दिसंबर महीने में बजट आ जायेगा। फिर निगम पार्षदों के पास इन समितियों में कुछ करने के लिए समय ही कहां बचा है? बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह नेतृत्व की अदूरदर्शिता की वजह से हुआ है। अब निगम पार्षदों को पहले अपने टिकट और दूसरे अपने इलाके की चिंता सता रही है। 50 लाख रूपये के बजट की घोषणा तो की गई है लेकिन पार्षदों के सामने इस बजट से काम कराने की चिंता सता रही है। क्योंकि अब समय ही नहीं बचा है कि वह अपने इलाकों में कोई काम करवा सकें।