दक्षिणी निगम की वजह से मंदा पड़ा बीजेपी का शराब नीति विरोधी अभियान

-पूर्वी व उत्तरी निगम के मुकाबले दक्षिणी निगम ने की नाम मात्र की कार्रवाई
-प्रदेश नेतृत्व के आदेश के बावजूद नहीं दक्षिणी निगम के नेताओं की दिलचस्पी

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति विरोधी अभियान मंदा पड़ने लगा है। इसमें सबसे बड़ा कारण दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के नेताओं की इस अभियान के प्रति बेरूखी है। एक ओर जहां पूर्वी दिल्ली नगर निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से नये खुलने वाले ठेकों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है। वहीं दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारी इस मामले में सुस्त पड़े हुए हैं।

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बता दें कि पिछले दिनों प्रदेश बीजेपी की ओर से दिल्ली के तीनों महापौर और निगम के नेताओं को आदेश जारी किया गया था कि नई शराब नीति दिल्ली वालों के हित में नहीं है। अतः वह स्वयं नये शराब के ठेकों के खुलने पर सभी तरह की जांच में हिस्सा लेकर कानूनी औपचारिकताएं पूरी नहीं करने वाले ठेकों के मालिकों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें। इसके बाद पूर्वी दिल्ली और उत्तरी दिल्ली निगमों के नेता तो पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रहे हैं, लेकिन दक्षिणी दिल्ली निगम के नेताओं की दिलचस्पी दिखाई नहीं दे रही है।

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गौरतलब है कि दिल्ली बीजेपी नेतृत्व की ओर से आदेश मिलने के बाद से पूर्वी दिल्ली नगर निगम में करीब तीन दर्जन से ज्यादा नये ठेकों को नोटिस जारी किये गये हैं। इनमें से तीन-चार ठेके सील किये जा चुके हैं। पूर्वी दिल्ली के महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल, स्थायी समिति अध्यक्ष बीएस पंवार और नेता सदन सत्यपाल सिंह ने खुद दिलचस्पी दिखाते हुए प्रमुख निगम पार्षदों की चार टीम बनायी हैं। यह लोग खुद निगम अधिकारियों के साथ शराब की नई दुकानों पर जाकर कार्रवाई सुनिश्चित कर रहे हैं।

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इसी तरह से उत्तरी दिल्ली नगर निगम के नेताओं में नेता सदन छैल बिहारी गोस्वामी, स्थायी समिति अध्यक्ष जोगीराम जैन और स्थायी समिति के सदस्य पार्षदों ने अपने-अपने इलाकों में अधिकारियों के साथ नयी शराब के ठेकों की विजिट करके ढाई दर्जन से ज्यादा नये खुले ठेकों के मालिकों को नोटिस जारी किये हैं। इनमें से तीन-चार ठेके सील या बंद भी कराये जा चुके हैं और कार्रवाई लगातार जारी है।
लेकिन दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के बीजेपी नेता महापौर से लेकर स्थायी समिति अध्यक्ष और नेता सदन तक कोई भी इस मामले में सक्रिय नजर नहीं आ रहा है। बताया जा रहा है कि दक्षिणी दिल्ली निगम के चार जोन में अब तक शराब के ठेकों को एक दर्जन नोटिस भी जारी नहीं किये जा सके हैं। दिल्ली बीजेपी की ओर से आदेश मिलने के बाद से निगम के नेता एक दिन भी इलाकों में नजर नहीं आये हैं। यही कारण है कि दक्षिणी निगम क्षेत्र में बीजेपी का शराब विरोधी अभियान पूरी तरह से पिछड़ चुका है।
मास्टर प्लान का सहारा फिर भी बेसहरा!
आबकारी नीति विरोधी अभियान में बीजेपी को मास्टर प्लान-2021 का सहारा भी मिल गया है। कारण है कि तीनों नगर निगमों में बीजेपी का शासन है अतः नई खुलने वाली दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों ने मास्टर प्लान- 2021 की धारा- 15.6.2 (ई) के तहत भी नोटिस जारी किये हैं, लेकिन दक्षिणी दिल्ली निगम मास्टर प्लान के इस क्लॉज का उपयोग भी नहीं कर पा रहा है। बता दें कि इस क्लॉज के मुताबिक मिक्स लैंड यूज वाली सड़कों पर शराब के ठेकों की एक्टिविटी नहीं की जा सकती। इसके साथ ही निगम के पास स्वीकृत मास्टर प्लान, बिल्डिंग बाईलॉज, कन्वर्जन चार्ज और संपत्ति कर वाले अधिकार तो हैं ही।