-उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एमएचओ अशोक रावत पर उठे सवाल
-5 मिनट भी पहला सदन नहीं चला सके उत्तरी दिल्ली के महापौर
उत्तरी दिल्ली के महापौर के तमाम दावे हवा-हवाई साबित हुए। विपक्ष के साथ तालमेल की कोशिशें भी काम नहीं आईं। विपक्ष ने जब एक दागी अधिकारी के खिलाफ आवाज उठाई तो महापौर जय प्रकाश उसके बचाव में उतर आए और इसके चलते 5 मिनट भी सदन नहीं चला पाए। नेतृत्व की विफलता यह कि पहली ही बैठक में तमाम प्रस्ताव विपक्ष के हंगामे के बीच ही बिना चर्चा के पारित करने पड़े। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में सत्ताधरी भारतीय जनता पार्टी की असफलता का यह नजारा बुधवार को सदन की बैठक में देखने को मिला।
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बता दें कि बुधवार 22 जुलाई को नए सत्र की पहली बैठक थी। इस बैठक में विपक्ष के नेता विकास गोयल ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के निगम स्वास्थ्य अधिकारी (एमएचओ) के पद पर तैनात अशोक रावत के द्वारा नगर निगम में किये जा
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बुधवार को जैसे ही नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने एमएचओ अशोक रावत के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें सेंसेटिव पोस्ट से हटाने के लिए सदन में आवाज उठाई, सत्ता पक्ष के नेता भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी के पक्ष में उतर आए। महापौर जय प्रकाश ने भी विपक्ष की आवाज को दवाते हुए एजेंडा में शामिल प्रस्तावों को मंजूरी देते हुए केवल 5 मिनट में ही बैठक अगली बैठक तक के लिए स्थगित कर दी।
बीजेपी नेताओं की नीयत पर उठे सवाल
बुधवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सदन की बैठक में सत्ताधारी बीजेपी के पार्षद जिस एमएचओ (निगम अधिकारी) के बचाव में उतरे थे, उस अधिकारी के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। इसके बाद प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की नीयत पर ही सवाल उठने लगे हैं। विपक्ष का आरोप है कि जिस तरीके से महापौर और प्रदेश बीजेपी नेतृत्व और दूसरे नेता एमएचओ अशोक रावत को बचा रहे हैं। उससे बीजेपी के नेताओं की नीयत पर ही शक होता है। नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने कहा कि बीजेपी के नेताओं की मिलीभगत की वजह से घाटे में चल रहे निगम को हर साल करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है।
डॉ अशोक रावत पर हैं गंभीर आरोप
उत्तरी दिल्ली के एमएचओ डॉक्टर अशोक रावत के ऊपर बहुत से गंभीर आरोप हैं। खास बात यह है कि डॉक्टर अशोक रावत अपनी नौकरी के पिछले जितने वर्षों में जहां-जहां रहे हैं, उनके ऊपर उनकी हर पोस्ट से जुड़े कोई न कोई गंभीर आरोप हैं। आश्चर्य की बात यह है कि निगम आयुक्त से लेकर सभी नेताओं के पास अशोक रावत की लिखित शिकायत के बावजूद महापौर जय प्रकाश और प्रदेश बीजेपी के किसी भी नेता को इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। आप नेता विकास गोयल का आरोप है कि दरअसल मामला हर महीने करोड़ों की हेराफेरी का है और ऐसे अधिकारियों का बचाव करने वाले नेताओं की मजबूरी को आसानी से समझा जा सकता है।
अतिरिक्त आयुक्त की ईमानदारी पर भी सवाल
वर्तमान समय में उत्तरी दिल्ली नगर निगम का कोई आयुक्त नहीं है। दक्षिणी दिल्ली निगम के आयुक्त ज्ञानेश भारती यहां का अतिरिक्त प्रभार देख रहे हैं। एमएचओ अशोक रावत उनकी नियुक्ति से पहले से प्रमोशन और वरिष्ठता के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए एमएचओ बनाए गए थे। इसी दौरान अतिरिक्त आयुक्त बतौर उत्तरी दिल्ली निगम के स्वास्थ्य और अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी डॉ रश्मि सिंह के ऊपर है। लेकिन उन्होंने भी इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया है, जबकि इन्हीं विभागों में वह पिछले एक महीने में ही वह कई ईमानदार डॉक्टर्स व अधिकारियों को इधर से उधर करवा चुकी हैं। निगम में प्रतिपक्ष के नेता विकास गोयल का आरोप है कि बीजेपी के नेताओं के साथ ही निगम के आला अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से उत्तरी दिल्ली नगर निगम को हर महीने करोड़ों रूपये का चूना लगाया जा रहा है।
बीजेपी नेताओं की वजह से आर्थिक परेशानी
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