-पूर्वी दिल्ली में 3 सीटों पर दो सांसद और 6 विधायक भी नहीं दिखा सके चमत्कार
-सांसद हंसराज हंस, डॉ. हर्षवर्धन और विधायक विजेंद्र गुप्ता भी नहीं जिता सके कोई सीट
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
प्रदेश नेतृत्व और पार्टी संगठन ही नहीं दिल्ली में बीजेपी के लिए उसके सांसद और विधायक भी नाकारा साबित हुए हैं। दिल्ली में हुए नगर निगम उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी 2020 में हुए विधानसभा चुनाव की स्थिति को भी नहीं दोहरा सकी। ठीक एक साल पूर्व फरवरी 2020 में पूर्वी दिल्ली से पार्टी के 6 विधायक जीतकर आए थे। यहीं से बीजेपी के दो सांसद भी लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी तरह उत्तरी दिल्ली दोनों निगम सीट बीजेपी के दो सांसद और एक मात्र विधायक के चुनाव क्षेत्र में आती हैं। लेकिन यहां भी दोनों सांसद (इनमें से 1 केंद्रीय मंत्री) और 1 विधायक मिलकर 2 में से 1 सीट भी बीजेपी को नहीं जिता सके।
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गौरतलब है कि पूर्वी दिल्ली की जिस चौहान बांगर सीट पर बीजेपी को महज 105 वोट हासिल हुए हैं, वह सीट दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और उत्तरी पूर्वी दिल्ली से पार्टी सांसद मनोज तिवारी के चुनाव क्षेत्र में पड़ती है। उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र की बात की जाए तो इस लोकसभा क्षेत्र से एक साल पूर्व 2020 में 3 विधायक जीतकर आए थे। पार्टी के यह तीनों विधायक और एक सांसद मिलकर चौहान बांगर सीट पर अपने उम्मीदवार को पिछली बार के बराबर भी वोट नहीं दिला सके।
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इसी तरह त्रिलोकपुरी ईस्ट और कल्याणपुरी वार्ड पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में आते हैं। यहां से बीजेपी के गौतम गंभीर सांसद हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली की तरह 2020 के विधानसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में भी बीजेपी के तीन विधायकों ने जीत दर्ज की थी। लेकिन यह सभी मिलकर पार्टी को दो में से एक भी वार्ड पर जीत नहीं दिला सके। खास बात यह रही कि पिछली बार करीब 700 वोट से हारी कल्याणपुरी सीट को बीजेपी इस बार 7 हजार वोट से भी ज्यादा के अंतर से हारी।
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उत्तरी दिल्ली नगर निगम की 2 सीटों रोहिणी-सी और शालीमार बाग नॉर्थ चांदनी चौक और उत्तर-पूर्वी लोकसभा क्षेत्रों में पड़ती हैं। रोहिणी-सी सांसद हंसराज हंस और शालीमार बाग नॉर्थ केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के चुनाव क्षेत्र में आती हैं। शालीमार बाग नॉर्थ और रोहिणी-सी सीट रोहिणी विधानसभा क्षेत्र से लगी हुई सीटें हैं और यहां से बीजेपी के विजेंद्र गुप्ता विधायक हैं। जो कि 2015 से 2020 तक दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रह चुके हैं। इसके बावजूद यह सभी नेता मिलकर शालीमार बाग की जीती हुई सीट को भी नहीं बचा सके और भारी अंतर के साथ यह सीट गंवा दी।