बीजेपी ने दो पार्षदों को दिखाया बाहर का रास्ता… तो लगाया आदेश गुप्ता पर 5 लाख रूपये मांगने का आरोप!

-कहीं डूबती नाव के लिए भी प्रचार पाने के लिए ‘आईवॉश’ तो नहीं बीजेपी की कार्रवाई
-2017 के निगम चुनाव में राशन कार्ड मंत्री के चक्कर में पार्टी से बाहर हुई थीं सविता खत्री
-प्रदेश नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाती रहीं ज्योति रछोया, लेकिन नहीं की गई कार्रवाई

हीरेंद्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के खिलाफ कठोर कदम उठाया है। बीजेपी ने अपने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के दो पार्षदों को बाहर का रास्ता दिखाया है। दानों ही महिला पार्षद हैं और एक ही वार्ड समिति यानी कि एक ही जोन से चुनकर आई हैं, जिन्हें 6 साल के लिए पार्टी से बाहर किया गया है। लेकिन प्रदेश बीजेपी की ओर से की गई कार्रवाई पर फिर से सवालिया निशान लग गए हैं कि जिस पार्षद को 2017 के चुनाव के दौरान ही पार्टी ने बाहर निकाल दिया था, उसे बीजेपी में किसने और कब शामिल किया था?

यह भी पढ़ेंः- जोन चुनाव में दिल्ली बीजेपी की करारी हार… एक पार्षद ने की क्रॉस वोटिंग

इसी सप्ताह बीते मंगलवार 6 जुलाई 2021 को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के नरेला जोन के अध्यक्ष पद पर हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार की हार हुई थी। इसके लिए पार्टी ने ज्योति रछौया और सविता खत्री को जिम्मेदार मानते हुए पार्टी से निकाला है। पार्टी का कहना है कि 6 जुलाई को जोन अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में जहां ज्योति रछौया सदन में अनुपस्थित रही वहीं सविता खत्री ने पार्टी के अध्यक्ष पद के अधिकृत उम्मीदवार को वोट नहीं डाला था।

यह भी पढ़ेंः- दिल्ली बीजेपी में जिला अध्यक्षों के सिर फूटेगा नाकामी का ठीकरा!

जोन चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रदेश बीजेपी की ओर से दोनों ही महिला निगम पार्षदों को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उन्हें 24 घण्टे में जवाब देने के लिए कहा गया था। बीजेपी की ओर से दावा किया गया है कि दोनों ही निगम पार्षदों के जवाब को संतोषजनक ना मानते हुए प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने अनुशासनहीनता के तहत कार्रवाई करते हुए दोनों निगम पार्षदों को पार्टी से निकाल दिया है। पार्टी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा है कि पार्टी के अंदर किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
राशन कार्ड मंत्री के चलते पहले ही पार्टी से बाहर थी सविता
प्रदेश भारतीय जनता पार्टी द्वारा नरेला से निगम पार्षद सविता खत्री को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाये जाने पर बड़े सवाल खड़े हो गये हैं। पार्टी ने 2017 के निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी के राशन कार्ड मंत्री के साथ संबंधों के चलते चुनावी नतीजे आने से पहले ही बीजेपी से बाहर निकाल दिया था। उसके बाद से खुद दिल्ली बीजेपी के नेताओं को यह जानकारी नहीं है कि सविता खत्री दोबारा फिर से कब बीजेपी में आईं, किसके द्वारा बीजेपी में लाई गईं और किस तारीख को उन्हें बीजेपी में शामिल किया गया?
18 अप्रैल 2017 को बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दिल्ली नगर निगम चुनाव की जिम्मेदारी संभाल रहे विनय सहस्त्रबुद्धे ने ऐलान किया था कि ‘नरेला वार्ड से बीजेपी उम्मीदवार सविता खत्री को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता (उनकी उम्मीदवारी को वापिस लिया जाता है, वह अब बीजेपी की प्रत्याशी नहीं हैं) है।’ सहस्त्रबुद्धे ने तब यह भी कहा था कि ‘बीजेपी के किसी भी नेता या उम्मीदवार का आम आदमी पार्टी के किसी भी आपराधिक व्यक्ति के साथ किसी भी तरह की सांठगांठ और मेल-मिलाप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, खासकर उनके साथ जिनके ऊपर बलात्कार जैसे गंभीर आरोप हैं। ऐसे लोगों के लिए बीजेपी में कोई जगह ना थी, ना है और नाही रहेगी।’
बता दें कि 2017 के दिल्ली में नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी तत्कालीन निगम पार्षदों और उनके रिश्तेदारों के टिकट काट दिये थे। तब पार्टी के एक स्थानीय वरिष्ठ नेता के परिवार में से सविता खत्री को निगम चुनाव का टिकट दिया गया था। उससे पहले आम आदमी पार्टी ने अपने एक मंत्री को राशन कार्ड बनाने के ‘सैक्स स्केंडल में संदीप कुमार का मंत्री पद छीनते हुए पार्टी से बाहर निकाला गया था’। लेकिन यह राशन कार्ड मंत्री सविता खत्री के साथ उनका चुनाव प्रचार करते हुए दिखाई दिये थे। भारी फजीहत होने के बाद बीजेपी ने अपनी उम्मीदवार सविता खत्री को पार्टी से निकाल दिया था।
पार्टी पदाधिकारियों पर गंभीर आरोपों के बावजूद बाहर नहीं हुई रछौया
10 जुलाई को बीजेपी से बाहर निकाली गई ज्योति रछौया खुद बीजेपी नेताओं के ऊपर लिखित में गंभीर आरोप लगाती रही हैं। वह नागलोई वार्ड से निगम पार्षद हैं। इससे पहले उनके पति के बड़े भाई यानी कि जेठ चतर सिंह रछौया और उनके बाद जेठानी भूमि रछौया निगम पार्षद रही हैं। बीजेपी ने 2017 में अपने किसी भी तत्कालीन पार्षद और उनके रिश्तेदारों को टिकट नहीं दिया था। लेकिन एक ही घर में रहते हुए और एक ही परिवार की सदस्य होते हुए ज्योति रछौया टिकट पाने में सफल रही थीं। राजधानी के उत्तरी दिल्ली के सियासी अखाड़े में पानी तो कई बार सिर से ऊपर जाता रहा, लेकिन बीजेपी ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की।
नरेला वार्ड समिति के चुनाव से ठीक एक दिन पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम एक पत्र भी दिया था। इस पत्र में उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की है। इसप पत्र में वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के ऊपर एक कार्यक्रम में आने के लिए 5 लाख रूपये की मांग करने का आरोप लगाया है। (इस पत्र की प्रतिलिप मौजूद है, हालांकि हम इसका सत्यापन नहीं करते हैं) अपने इस पत्र में ज्योति रछौया ने कई धाराओं में दर्ज हुए मामलों और पार्टी के कई पदाधिकारियों के खिलाफ की गई शिकायतों का जिक्र किया है। ऐसे में दिल्ली बीजेपी प्रदेश नेतृत्व के हालिया निर्णय पर गंभीर सवाल तो उठ ही रहे हैं। अब देखना यह है कि अपनी सच्चाई को दिल्ली बीजेपी किस तरह से दिल्ली वालों के सामने रख पाती है।