जीत कर भी हारी बीजेपी… निगम में जमकर हुई क्रास वोटिंग

-65 में से 56 पार्षदों ने ही किया पार्टी के पक्ष में मतदान
-बीजेपी के 9 पार्षदों ने की एनडीएमसी सदन में क्रास वोटिंग

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। खास तौर पर निगम पार्षदों में भारी मतभेद हैं। इसका एक नजारा बुधवार 24 जून को देखने को मिला। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सदन में हुए स्थायी समिति सदस्य के चुनाव में बीजेपी पार्षदों ने जमकर क्रास वोटिंग की। पार्टी के कम से कम 9 पार्षदों पर क्रास वोटिंग का संदेह है।

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स्थायी समिति के तीन सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने की वजह से तीन सीट खाली हुई थीं। इन सीटों को निगम सदन से चुनकर भरा जाना था। बीजेपी ने अपने संख्या बल के आधार पर 2 पार्षद योगेश वर्मा और छैल बिहारी को मैदान में उतारा था। चुनाव की स्थिति तब बनी जब बाकी एक सीट के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिये। मुख्य मुकाबला कांग्रेस के मुकेश गोयल और आम आदमी पार्टी के अजय शर्मा के बीच था।

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सदन में हुए मतदान में कांग्रेस के मुकेश गोयल को 15 वोट हासिल हुए, जबकि आम आदमी पार्टी के अजय शर्मा को 25 वोट मिले। इस तरह आम आदमी पार्टी के अजय शर्मा ने स्थायी समिति में अपना स्थान बना लिया। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के मुकेश गोयल ने बीजेपी के कुछ पार्षदों को वोट देने के लिए मना लिया था। लेकिन फिर भी वह हार गए।

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104 पार्षदों वाले उत्तरी दिल्ली नगर निगम में बीजेपी के पास फिलहाल 65 निगम पार्षद हैं। हालांकि 10 नोमिनेटिड निगम पार्षद भी हैं, लेकिन उन्हें सदन में मतदान का अधिकार नहीं है। लेकिन बीजेपी को दोनों उम्मीदवारों को मिलाकर केवल 56 वोट हासिल हुए। ऐसे में बीजेपी के 9 पार्षदों पर क्रास वोटिंग करने का आरोप है।
बीजेपी के उम्मीदवारों को नहीं मिले बराबर वोट
बीजेपी की ओर से उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता सदन योगेश वर्मा को 29 वोट हासिल हुए थे। जबकि भावी स्थायी समिति अध्यक्ष छैल बिहारी को 27 वोट हासिल हुए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थायी समिति अध्यक्ष के चयन को लेकर भी बीजेपी पार्षद एकमत नहीं हैं। जबकि अपनी पार्टी के नेताओं के खिलाफ बीजेपी के 9 पार्षदों के द्वारा की गई क्रास वोटिंग ने बड़े सवाल खड़े कर दिये हैं।
बहुत सी बातों पर पानी फेर सकता है विपक्ष का एका
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में बीजेपी पार्षदों का रूख जिस तरह से बना हुआ है, उससे आने वाले दिनों में बीजेपी को निगम की सत्ता चलाने में भी मुश्किल आ सकती है। यदि किसी मुद्दे पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी हाथ मिला लेते हैं और मतदान होने पर इसी तरह की क्रास वोटिंग हो जाती है तो निगम सदन में बीजेपी मुश्किल में आ सकती है।