चुनावी साल में बीजेपी नहीं दे सकी निगमों को मजबूत नेतृत्व… आम आदमी पार्टी को मिला ‘ओपन कॉरिडोर’

-तीनों निगमों की स्थायी समितियों को भी मिला अकुशल नेतृत्व
-सात में से तीन सांसदों ने महापौर के लिए नहीं दिया कोई नाम

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
महापौर, उपमहापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों की घोषणा के बाद दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में नई चर्चा छिड़ गई है। कहा जा रहा है कि चुनावी साल में भी पार्टी अपनी सत्ता वाले तीनों नगर निगमों को मजबूत नेतृत्व देने में नाकाम रही है। तीन महापौर में से दो को अनुभवहीन बताया जा रहा है, वहीं स्थायी समिति के तीनों अध्यक्षों को भी अकुशल एवं निष्क्रिय बताया जा रहा है। पार्टी के अंदर ही यह चर्चा जोरों पर है कि प्रदेश नेतृत्व ने ऐसा करके बीजेपी के ऊपर पहले से ही हमलावर आम आदमी पार्टी को ‘ओपन कोरिडोर’ दे दिया है।

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बीजेपी ने उत्तरी दिल्ली के महापौर के लिए राजा इकबाल सिंह का नाम तय किया है। उन्हें वर्तमान महापौर जय प्रकाश का स्थान लेना है। अभी तक वह सिविल लाइंस जोन के चेयरमैन थे। राजा इकबाल सिंह अकाली दल के कोटे से निगम पार्षद बने थे, लेकिन पिछले साल किसान आंदोलन की शुरूआत के समय बीजेपी-अकाली दल का गठबंधन टूटने पर अकाली दल के साथ बगावत कर दी थी। उसी बगावत का इनाम बीजेपी ने उन्हें दिया है। आने वाले चुनाव के मद्देनजर भले ही इकबाल सिंह को महापौर बनाया गया हो, लेकिन ज्यादातर सिख बिरादरी बीजेपी के साथ नहीं है। ऐसे में बीजेपी का अपने कार्यकर्ता के बजाय दूसरी पार्टी के लोगों को आगे बढ़ाने का दांव कितना सही बैठेगा? यह तो भविष्य ही बतायेगा।

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राजा इकबाल के साथ उपमहापौर के रूप में अर्चना दिलीप का नाम तय किया गया है। दूसरी ओर स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए जोगीराम जैन का नाम तय किया गया है। जोगीराम अब तक केशवपुरम जोन के चेयरमैन हैं। पार्टी में उनके बारे में चर्चा है कि केवल जुगाड़ के तौर पर उन्हें 2017 से कोई न कोई पद दिया जाता रहा है। जबकि वह जोन में भी अधिकारियों के ऊपर अंकुश लगाने और कोई भी काम कराने में नाकाम रहे हैं। उनके साथ विजय भगत को स्थायी समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया है।

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दक्षिणी दिल्ली के महापौर के लिए मुकेश सूर्यान का नाम तय किया गया है। उन्हें वर्तमान महापौर अनामिका मिथलेष का स्थान लेना है। वह अब तक निगम की शिक्षा समिति के अध्यक्ष रहे हैं। मुकेश को जरूर युवा और पढ़े लिखे चेहरे के रूप में देखा जा सकता है। उनसे एक्टिव रहने की उम्मीद भी की जा सकती है। क्योंकि जिस तरह से दक्षिणी दिल्ली को पिछले दो वर्षों में नेतृत्व दिया गया, उससे तो यह निगम तेजी से गर्त की ओर गया है। लेकिन बताया जा रहा है कि मुकेश सूर्यान के ऊपर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एक ओएसडी की विशेष कृपा रही है। उनके साथ उपमहापौर के तौर पर पवन शर्मा को जिम्मेदारी सोंपी गई है।
लेकिन दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में भी स्थायी समिमि की बागडोर कर्नल बीके ओबरॉय को सोंपी गई है। ओबरॉय अब तक वार्ड कमेटी के चेयरमैन हैं और उनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने मुद्दे तो बहुत अच्छे उठाये हैं, लेकिन अब तक वह अधिकारियों पर लगाम लगाने और उनसे काम निकालने में नाकाम ही साबित रहे हैं। ऐसे में स्थायी मिमिति इस बार भी कितना काम कर पायेगी और नगर निगम की दागदार छवि को वह कितना उबार पायेंगे? यह तो आने वाले समय में ही सामने आयेगा। उनके साथ स्थायी समिति के उपाध्यक्ष के लिए पार्टी ने पूनम भाटी का नाम तय किया है। पूनम भाटी लंबे समय से ज्यादातर समितियों की उपाध्यक्ष ही बनती आ रही हैं और एक बार फिर उनके नाम के साथ उपाध्यक्ष जुड़ जायेगा।
नेतृत्व के मामले में पूर्वी दिल्ली भी पिछले दो वर्षों से पिछड़ा साबित हो रहा है। इस बार पूर्वी दिल्ली के महापौर के लिए बीजेपी ने श्याम सुंदर अग्रवाल का नाम तय किया है। वह वर्तमान महापौर निर्मल जैन का स्थान लेंगे। बताया जा रहा है कि अग्रवाल को उत्तर प्रदेश के एक डिप्टी सीएम की सिफारिश पर यह पद मिला है। चुनावी वर्ष होने की वजह से पूर्वी दिल्ली को और अच्छा नेतृत्व दिया जा सकता था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ऐसा नहीं कर सकता। उम्मीद की जा रही है कि श्याम सुंदर महापौर के रूप में निर्मल जैन के मुकाबले कुछ हद तक ठीक साबित हो सकते हैं। उनके साथ उपमहापौर के लिए किरण वैद्य का नाम तय किया गया है।
स्थायी समिति के मामले में यहां भी अकुशल व्यक्ति को जिम्मेदारी सोंपी गई है। वीर सिंह पंवार को स्थायी समिति अध्यक्ष बनाया जायेगा। पार्टी में सिफारिशों ने ज्यादा काम किया है, जिसकी वजह से नगर निगम को कुशल नेतृत्व नहीं मिल पाया है। पंवार के साथ स्थायी समिति उपाध्यक्ष बतौर दीपक मलहोत्रा का नाम तय किया गया है। दिल्ली बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पार्टी नेतृत्व नगर निगमों को इससे अच्छा नेतृत्व दे सकता था, लेकिन आपसी खींचतान की वजह से ऐसा नहीं हो पाया है।
दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि नगर निगमों को नेतृत्व देने के मामले में यह निर्णय उचित नहीं है। अगले वर्ष में नगर निगम का चुनाव होना है। ऐसे में नये नेताओं के पास काम करने के लिए तीन-चार महीनों से ज्यादा का समय नहीं है। आम आदमी पार्टी पहले ही बीजेपी पर हमलावर है। पिछले दिनों नगर निगम की पांच सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी एक सीट भी नहीं जीत पाई थी। यहां तक कि पार्टी अपनी शालीमार बाग की परंपरागत सीट को भी दो गुना अंतर से गंवा चुकी है। ऐसे में आने वाले चुनाव में बीजेपी किस तरह से आम आदमी पार्टी का सामना कर सकेगी?
संगठन और संघ के बीच दूरियों की वजह से गलत फैसले
दिल्ली बीजेपी के एक और वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी में अंधी सिफारिश के आधार पर फैसले लिये जा रहे हैं। संगठन महामंत्री और प्रदेश नेतृत्व के बीच छत्तीस का आंकड़ा बन गया है। ज्यादातर फैसले सगठन महामंत्री के द्वारा किये जा रहे हैं। यह फैसले संघ का आदेश बताकर पार्टी के ऊपर थोप दिये जाते हैं। ऐसे मे ंप्रददेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता केवल अपनी पसंद के लोगो को अडजस्ट करवाने में ही जुटे रहते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता की एरोगेंसी को लेकर नाराजी है। यही कारण है कि पार्टी में इस तरह के फैसले लिये जा रहे हैं, जिनकी वजह से बीजेपी मजबूत होने के बजाय और कमजोर होती जा रही है।
7 में 3 सांसदों ने नहीं दिया नाम
महापौर एवं उप महापौर के नामों की घोषणा करने से पूर्व पार्टी संगठन में एक महामंत्री ने दिल्ली के सातों सांसदों एवं कुछ अन्य लोगों से रायशुमारी की थी। बताया जा रहा है कि 7 में से 3 सांसदों ने महापौर के लिए अपनी ओर से कोई भी नाम देने से मना कर दिया। बताया यह भी जा रहा है कि इन सांसदों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि जब उनके द्वारा बताये गये नामों को संगठन में ही तवज्जो नहीं दी गई तब महापौर बनाने के मामले में कितनी तवज्जो दी जायेगी। ज्यादातर सांसदों एवं पार्टी नेताओं की नाराजगी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता और संगठन महामंत्री सिद्धार्थन से है।