BIHAR: महागठबंधन में सीट बंटवारे का खाका तैयार… जानें किसके हिस्से होंगी कितनी सीट

-महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं वाम दल
-छोटे दलों को भी मिलेगी सीटों में भागीदारी

एसएस ब्यूरो/ पटना
जैसे जैसे बिहार विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे सियासी दल अपने लिए फार्मूले तय करते जा रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर फॉर्मूला करीब-करीब तय हो चुका है़। यह फॉर्मूला दो स्तरीय होगा और फॉर्मूले के तहत राजद अपने कोटे से वीआइपी व वाम दलों को सीटें देगा। जबकि कांग्रेस के कोटे में निर्धारित सीटों में ही रालोसपा की हिस्सेदारी होगी। आरजेडी खुद करीब 135 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।

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सूत्रों का यह भी कहना है कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से आरजेडी और कांग्रेस 195 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी। जबकि 48 सीटें महागठबंधन के दूसरे सहयोगी दलों में बांट दी जाएंगी। हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाय है कि कौनसे सियासी दल आरजेडी के साथ मिलकर महागठबंधन में रहकर चुनाव लड़ेंगे। फिलहाल वाम दलों के नेताओं के साथ भी अभी कोई समझौता नहीं हुआ है। जबकि हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी ने महागठबंधन छोड़ दिया है।

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बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में आरजेडी के फिलहाल 80 विधायक हैं। पिछला यानी 2015 का विधानसभा चुनाव आरजेडी ने जेडीयू के साथ मिलकर लड़ा था और बिहार में सरकार बनाई थी। लेकिन यह बेमेल गठबंधन ज्यादा लंबा नहीं चल सका और जेडीयू ने आरजेडी से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।

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आरजेडी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राजद कोटे से तीनों साम्यवादी दल मसलन सीपीआई, सीपीएम और भाकपा- माले को सीटें दी जा सकती हैं। दो सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा और कुछ सीटें मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली वीआईपी दल को दी जायेंगी़। आरजेडी ने अपने ही कोटे से बीएसपी और दूसरे छोटे -छोटे दलों के लिए भी कुछ सीटें रखी हैं। जिन्हें रणनीति के तहत महागठबंधन का हिस्सा बनाया जा सकता है़। इस तरह आरजेडी खुद करीब 130 से 135 सीटों पर चुनावी मैदान में उतर सकता है़।

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महागठबंधन के दूसरे बड़े दल कांग्रेस को अपने कोटे से रालोसपा को संतुष्ट करना होगा। सूत्रों के मुताबिक दोनों बड़े दलों में इस बात पर सहमति बनी है कि सीट का आवंटन का आधार दलों के पास विधानसभा क्षेत्र विशेष में उम्मीदवारी के योग्य चेहरा होना होगा। अगर किसी भी दल के पास क्षेत्र विशेष में जाना -पहचाना चेहरा नहीं है, तो उसे किसी भी सूरत में टिकट नहीं दिया जायेगा़। इस सिद्धांत के आधार पर कैडर शून्य पार्टियां आरजेडी या कांग्रेस से मोलभाव करने की स्थिति नहीं हो पायेंगी़।
लालू ने बनाया फार्मूला
बताया जा रहा है कि महागठबंधन के सूत्रधार लालू प्रसाद ने इस फॉर्मूले को सीट बंटवारे का आधार बनाया है़। लालू प्रंसाद यादव ने कहा है कि यह आर-पार की लड़ाई है। ऐसे में सिर्फ उम्मीदवार ही अहम होगा़। दूसरी ओर आरजेडी की ओर से यह भी कहा गया है कि उनकी पार्टी से असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी एआईएमआईएम से कोई बात नहीं हुई है़ और ना ही उसके साथ कोई चुनावी समझौता करने जा रहे हैं।
आस्था पर सियासत भारी, अब तक 12 ने छाड़ी आरजेडी
राष्ट्रीय जनता दल में लगातार भगदड़ जारी है। अब तक 12 विधायक आरजेडी छोड़ चुके हैं। उसके एक और विधायक वीरेंद्र कुमार बुधवार को आरजेडी छोड़कर जेडीयू में आ गए। अबतक जेडीयू में आरजेडी के 7 विधायक और 5 विधान परिषद सदस्य आ चुके हैं। 7 विधायकों में प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव, अशोक कुमार, चंद्रिका राय, फराज फातमी, जयवर्द्धन यादव, वीरेंद्र कुमार के नाम शामिल हैं। जबकि विधान परिषद सदस्यों में दिलीप राय, राधाचरण सेठ, संजय प्रसाद, कमरे आलम, रणविजय सिंह शामिल हैं।