-जेडीयू के खाते में सीएम व विधानसभा अध्यक्ष!
-पिछली बार की तुलना में ज्यादा होंगे बीजेपी के मंत्री
एसएस ब्यूरो/ पटना-नई दिल्ली
बिहार में नई सरकार के गठन के लिये जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। मंत्री बनने के लिए विधायकों ने पटना से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि एनडीए की बैठक में हुए चर्चा के मुताबिक मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी जनता दल यूनाईटेड के खाते में गई हैं। जबकि इस बार पिछली बार की तुलना में बीजेपी के कोटे से ज्यादा मंत्री बनाए जाएंगे। यही कारण है कि मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए नवनिर्वाचित विधायकों ने लॉबिंग तेज कर दी है।
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बता दें कि पिछली बार की तुलना में इस बार भाजपा के 21 विधायक ज्यादा जीतकर आए हैं। वहीं जेडीयू के विजयी उम्मीदवारों की संख्या पिछली बार के 71 से घटकर 43 रह गई है। साथ ही वीआईपी और हम के चार -चार विधायक जीतकर आए हैं। सरकार में शामिल होने के लिए एनडीए में फिलहाल कोई फार्मूला तय नहीं हुआ है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जदयू और भाजपा के कोटे से कितने मंत्री बनते हैं। वैसे वीआईपी और हम के खाते में एक-एक मंत्री पद जाना तय माना जा रहा है।
जेडीयू से बनेंगे 12 मंत्री
जेडीयू से मुख्यमंत्री के अलावा 12 मंत्री बनने की उम्मीद है। इस दल के 43 विधायक चुनकर आए हैं। मंत्री परिषद में जीतकर आए मौजूदा मंत्रियों के बरकरार रहने की ज्यादा उम्मीद है। नीतीश सरकार के जेडीयू कोटे के जो मंत्री जीतकर आए हैं उनमें बिजेन्द्र प्रसाद यादव, श्रवण कुमार, महेश्वर हजारी, बीमा भारती, नरेन्द्र नारायण यादव, मदन सहनी शामिल हैं। इनका फिर से मंत्री बनना तय माना जा रहा है।
यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि जेडीयू ने अपने कोटे की 115 सीटों में से 22 पर महिलाओं को उतारा था। इनमें से छह जीतकर आई हैं। अपने कोटे के 12 मंत्रियों में यह दल दो महिलाओं को रख सकता है। इनमें बीमा भारती के आलावा धमदाहा से जीतकर आईं लेसी सिंह भी मंत्री बन सकती हैं। शेष पांच मंत्रियों को लेकर दल में कई दावेदार दिख रहे हैं। पूर्व मंत्री दामोदर रावत व हरिनारायण सिंह को भी मंत्री बनाए जाने के आसार हैं। जेडीयू के टिकट पर पहली बार 13 विधायक चुनकर आए हैं। साथ ही चकाई के निर्दलीय विधायक सुमित सिंह (दूसरी बार जीते) ने भी जेडीयू को अपना समर्थन दिया है। इनमें से भी किसी एक को प्रमोट किया जा सकता है। नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी और नीरज कुमार को भी मंत्रिपरिषद में रखने की चर्चा है। इसके अलावा सामाजिक समीकरण के लिहाज से भी एक-दो नाम घटाये-बढ़ाये जा सकते हैं, इनमें निरंजन कुमार मेहता, डॉ. ललित नारायण मंडल और रत्नेश सदा के नाम महत्वपूर्ण हैं।
बीजेपी में मंत्री बनने की दौड़ में कई शामिल
बीजेपी की ओर से मंत्रीमंडल में शामिल होने के लिए नवनिर्वाचित विधायकों की लॉबिंग भी शुरू हो गई है। पटना से दिल्ली तक ऐसे नेता अपनी-अपनी गोटी सेट करने में जुट गए हैं। मौजूदा निवर्तमान मंत्रियों में बृज किशोर बिंद और सुरेश शर्मा चुनाव हार गए हैं। बाकी जो चुनाव जीतकर आए हैं, उनका दोबारा मंत्रिपरिषद में शामिल होना तय माना जा रहा है। सामाजिक समीकरण को देखें तो बीजेपी में इस बार के चुनाव में सात यादव, आठ भूमिहार, 17 राजपूत, पांच ब्राह्मण, तीन कायस्थ, चार ओबीसी, 14 वैश्य, छह कुर्मी-कुशवाहा और 10 एससी-एसटी समुदाय से विधायक चुनकर आए हैं। मंत्रिपरिषद में सामाजिक तानाबाना का ख्याल रखा जाएगा। लेकिन यह तय है कि भाजपा कोटे से बनने वाले मंत्रियों में सवर्ण समुदाय का दबदबा रहेगा।
सवर्ण समुदाय का दबदबा!
ब्राह्मण समुदाय से विनोद नारायण झा व मंगल पांडेय का फिर से मंत्रिमंडल में शामिल होना तय माना जा रहा है। इस समुदाय से नीतीश मिश्रा भी मंत्रीपद के दावेदारों में हैं। यादव समाज से नंद किशोर यादव का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। पांचवीं बार विधायक चुने गए प्रो. नवल किशोर यादव भी मंत्री पद के प्रबल दावेदारों में हैं। वहीं, भूमिहार कोटे से विजय कुमार सिन्हा और राजपूत कोटे से राणा रणधीर का फिर से मंत्री बनना तय माना जा रहा है। अन्य दावेदारों में अमरेन्द्र प्रताप सिंह के अलावा अरुण कुमार सिंह, विनय बिहारी और अंतरराष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह को भी मंत्री बनाने जाने की चर्चा है। कायस्थ वर्ग से संजय मयूख और बांकीपुर विधायक नितिन नवीन के नाम की चर्चा तेज है।
अति पिछड़ा और वैश्य समुदाय का कोटा
अतिपिछड़ा कोटे में प्रेम कुमार का मंत्री बनना तय बताया जा रहा है। बेतिया से जीती रेणु देवी को मंत्री बनाकर अतिपिछड़ा की भागीदारी बढ़ाने और महिला कोटे की भरपाई की जा सकती है। वैश्य समुदाय से राम नारायण मंडल और प्रमोद कुमार को मंत्री बनाया जा सकता है। कुर्मी-कुशवाहा समुदाय से हाजीपुर से जीते अवधेश सिंह और सुनील कुमार तो एससी-एसटी कोटे से कृष्ण कुमार ऋषि के अलावा एक-दो नाम और चर्चा में है।
वीआईपी कोटे से सहनी बनेंगे मंत्री!
वीआईपी के कोटे से पार्टी अध्यक्ष मुकेश सहनी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। हालांकि मंत्री बनने के बाद उन्हें छह माह के भीतर किसी सदन का सदस्य बनना होगा, क्योंकि वह चुनाव हार गए हैं। हालांकि, वीआईपी से जुड़े सूत्रों की मानें तो पार्टी की ओर से सरकार में सहनी ही शामिल होंगे। उन्हें सीट बंटवारे के समय भाजपा ने 11 विधानसभा सीटों के साथ एक विधान परिषद सीट भी देने का वादा किया था। यूं भी नई सरकार के गठन के बाद विधान परिषद की दर्जनभर सीटों पर मनोनयन होना है। ऐसे में सहनी विधान परिषद की सदस्यता लेंगे।
संतोष सुमन होंगे हम की ओर से मंत्री
एनडीए की अगली सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पुत्र डॉ. संतोष सुमन शामिल हो सकते हैं। हम पार्टी की ओर से मंत्री बनने के वे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि इसको लेकर पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन पार्टी के शीर्षस्थ सूत्र बताते हैं कि डॉ. सुमन ही मंत्री होंगे। डॉ. सुमन विधान परिषद के सदस्य हैं। वहीं विधानसभा चुनाव में हम के चार उम्मीदवार जीते हैं। गौरतलब हो कि मांझी पहले ही कह चुके हैं कि वह मंत्री नहीं बनेंगे।
नीतीश के आठ मंत्री हारे चुनाव
जेडीयू कोटे के आठ मंत्री चुनाव हार गए हैं। इनमें कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, जयकुमार सिंह, शैलेश कुमार, खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद, संतोष निराला, लक्ष्मेश्वर राय, रामसेवक सिंह, रमेश ऋषिदेव शामिल हैं।
तेजस्वी ने दिया डिप्टी सीएम का ऑफर!
विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सहनी को एनडीए छोड़कर आरजेडी का साथ देने के लिए डिप्टी सीएम बनाने का ऑफर दिया है। सहनी ने कहा कि जब मौका था तब तेजस्वी यादव ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा था। अब वह खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए मुझे थाली में डिप्टी सीएम पद का ऑफर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धोखा देने वाले तेजस्वी के साथ कोई नहीं रह सकता। उन्होंने आगे कहा कि ‘‘वीआईपी एनडीए के साथ है और मुझे कोई नहीं फंसा सकता। क्योंकि मैं मल्लाह हूं और मल्लाह फंसना नहीं फंसाना जानते हैं।’’