बुरे फंसे नेताजीः बीजेपी की कराई किरकिरी, लगाये आरोप तो अधिकारियों ने निकाली आरोपों की हवा

-उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति में बिजेंद्र यादव ने उठाया पार्किंग ठेकों में घोटाले का मामला
-आला अधिकारी बोलेः सभी आरोप झूठे, चल रहीं ऑथराइज पार्किंग, नियमों के अनुसार दिये गये ठेके

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
बीते करीब 15 साल से सत्ता में होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के नेता नगर निगमों की कमान नहीं संभाल पा रहे हैं। विपक्ष तो हमलावर बना ही हुआ है, खुद पार्टी के अपने पार्षद भी नगर निगम की बखिया उधेड़ने में जुटे हैं। बुधवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की बैठक में स्थायी समिति के पूर्व डिप्टी चेयरमैन बिजेंद्र यादव ने तीन पार्किंग के ठेकों में धांधली का मुद्दा उठाया। लेकिन निगम अधिकारियों ने इसकी साथ के साथ हवा निकाल कर रख दी।

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बिजेंद्र यादव ने रोहिणी के एम-2के पार्किंग को फ्री पार्किंग बताते हुए यहां से अवैध वसूली किये जाने की बात कही। लेकिन शायद उन्हें नहीं मालूम था कि वह ऐसा करके बीजेपी की भद्द पिटवा रहे हैं। कारण है कि जिस पार्किंग में वह अवैध वसूली की बात कर रहे थे, वह अधिकारियों के मुताबिक ऑथरॉइज पार्किंग है और लाखों रूपये महीने के मासिक शुल्क पर दी गई है। जबकि इसी के साथ में ‘अराउंड एम 2के रोहिणी कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स’ पार्किंग साइट है जोकि अभी फ्री की गई है। बिजेंद्र यादव ने जिसको लेकर बात उठायी उसके नये टेंडर में नगर निगम ने उसका रिजर्व लाइसेंस शुल्क 44 हजार 550 रूपये रखा है।

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खास बात यह है कि इस पार्किंग के लिए नयी टेंडरिंग में भी कोई बिड नहीं आयी है। जबकि 31 अगस्त को ही नई टेंडरिंग की फाइनेंशियल बिड खोली गई है। गौरतलब है कि बिजेंद्र यादव आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा मनोनीत पार्षद हैं और ‘आप’ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने जिस इलाकों की पार्किंग की बात बुधवार की स्थायी समिति की बैठक में उठायी, वह इलाके बीजेपी के दूसरे निगम पार्षदों व अन्य दलों के इलाकों में आते हैं। ऐसे में खुद भारतीय जनता पार्टी के पार्षद ही बिजेंद्र यादव की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं।
अधिकारियों ने बातईं ऑथराइज पार्किंग
बीजेपी के मनोनीत पार्षद बिजेंद्र यादव ने भले ही पार्किंग ठेकों में भ्रष्टाचार का मामला बताकर इसे तूल देने की कोशिश की, लेकिन स्थायी समिति अध्यक्ष जोगीराम जैन ने संबंधित अधिकारियों से इस मामले में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आरपी सेल के उपायुक्त राजेश गोयल ने बिजेंद्र यादव के दावों की हवा निकाल कर रख दी। उन्होंने कहा कि यह पार्किंग अधिकृत तौर पर ठेकेदारों को अलॉट की गई हैं और इनसे नगर निगम को शुल्क प्राप्त हो रहा है। दूसरी ओर स्थायी समिति अध्यक्ष जोगीराम जैन ने भी अपनी ही पार्टी के पार्षद बिजेंद्र यादव के आरोपों को कोई तरजीह नहीं दी।
पार्किंग ठेकेदारों की आपसी लड़ाई
बताया जा रहा है कि बिजेंद्र यादव ने स्थायी समिति की बैठक में जो मामला उठाया है, वह ठेकेदारों की आपसी लड़ाई का है। सूत्र बताते हैं कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में पार्किंग ठेकेदारों के तीन बड़े गुट हैं। इनमें से एक गुट ने बिजेंद्र यादव से यह मुद्दा स्टेंडिंग कमेटी में उठाने के लिए कहा था। इसके साथ ही कुछ शिकायती पत्र भी उन्हें सोंपे गये थे, ताकि स्थायी समिति में इस मसले को उठाकर संबंधित पार्किंग ठेकेदारों पर दबाव बनाया जा सके। लेकिन बिजेंद्र यादव खुद ही इस मसले को उठाकर बुरी तरह से फंस गये हैं।