बिल्डर माफिया का एक और कारनामाः एनडी मॉल के बाद सामने आया एजीएम प्लाजा का मामला… डिमोलिशन के आदेश के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई

-साल 2014 में ही अवैध निर्माण में बुक हो गई थी करोलबाग के सरस्वती मार्ग के पास स्थित संपत्ति संख्या 13/12
-जनवरी 2017 में जारी किया गया था एजीएम प्लाजा के डिमोलिशन का आदेश, लेकिन नहीं हुई कोई कार्रवाई
-जनवरी 2019 में जारी किया गया था बिल्डिंग को खाली कराने का ओदश, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
एनडी मॉल के बाद करोलबाग इलाके में बिल्डर माफिया का एक और कारनामा सामने आया है। यहां बिल्डर माफिया ने सरस्वती मार्ग के पास स्थित संपत्ति संख्या 13/12 में अवैध निर्माण करके एजीएम प्लाजा के नाम से एक बहुमंजिला शॉपिंग कॉम्पलेक्स खड़ा दिया। इसे आम लोग मोबाइल मार्केट के नाम से भी जानते हैं। बताया जा रहा है कि इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स का बेसमेंट पूरी तरह से गैरकानूनी है। इसी आधार पर यह पूरा का पूरा शॉपिंग कॉम्पलेक्स ही अवैध हो गया है। यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि इस एजीएम प्लाजा की बिल्डिंग को मार्च 2014 में अवैध निर्माण किये जाने की वजह से बुक किया गया था। 2 जनवरी 2017 को नगर निगम की ओर से नगर निगम अधिनियम की धारा 332 के तहत इसके मालिकों को इस निर्माण को खुद ही तोड़ने के लिए नोटिस दिया गया था। लेकिन बिल्डिर माफिया ने अपनी दबंगई के चलते नहीं तोड़ा।

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इसके पश्चात 13 जनवरी 2017 को संपत्ति संख्या 13/12 पर एजीएम प्लाजा के नाम से खड़े किये गये शॉपिंग कॉम्पलेक्स को नगर निगम की ओर से तोड़ने के आदेश जारी किये गये, लेकिन यहां बिल्डर माफिया-निगम अधिकारियों और कुछ नेताओं के गठजोड़ की वजह से इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स के खिलाफ तोड़ने की कार्रवाई नहीं की गई। सरकारी दस्तावेजों में लिख दिया गया कि समय की कमी की वजह से बिल्डिंग को तोड़ने की कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि इसी आदेश में फिर से बिल्डिंग को डिमोलिश करने की कार्रवाई का आदेश जारी किया गया। लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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करोलबाग इलाके में बिल्डर माफिया की दबंगई और कुछ निगम अधिकारियों व सत्ताधारी दल के नेताओं के गठजोड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बार-बार इस एजीएम प्लाजा शॉपिंग कॉम्पलेक्स के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किये जाने के बावजूद इस अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जासकी । बताया जा रहा है कि ऐसा इसलिए है कि इस मामले में करोड़ों रूपये की अवैध उगाही की जा रही है।

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इसका ताजा उदाहरण है कि 4 जनवरी 2019 को इस एजीएम प्लाजा नामक शॉपिंग कॉम्पलेक्स को खाली कराने के लिए दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 349 के तहत नोटिस जारी किया गया था, लेकिन फिर भी यह शॉपिंग कॉम्पलेक्स ना तो खाली कराया जा सका और ना ही इस संपत्ति में निगम अधिकारियों ने तोड़-फोड़ की कार्रवाई की। यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि यह एजीएम प्लाजा नाम का शॉपिंग कॉम्पलेक्स मेन रोड के बजाय गली में बनाया गया है और यह गली कमर्शियल नहीं है। बिल्डिंग बॉयलॉज के जानकारों का कहना है कि इस वजह से ये पूरा कॉम्पलेक्स गैरकानूनी है।
करोड़ों के लेनदेन की वजह से बचा रहा शॉपिंग कॉम्पलेक्स
सूत्रों का कहना है कि बिल्डर माफिया और सत्ताधारी दल के साथ कुछ निगम अधिकारियों का गठजोड़ इतना ज्यादा मजबूत है कि बड़े स्तर पर किये गये इस अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। अवैध निर्माण के जरिये बनाये गये इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स में आम दुकानदारों को करोड़ों रूपये में दुकानें बेची गई हैं। बहुत से दुकानदारों से लाखों रूपये महीने किराये की वसूली की जा रही है। इसकी वजह से इस अवैध निर्माण के खिलाफ केवल कागजों में ही कार्रवाई की जा रही है। जबकि इसे सील तो पहले ही कर दिया जाना चाहिए था और इसके बाद नगर निगम की जिम्मेदारी बनती थी कि इस अवैध निर्माण को ढहाया जाता।
निगम की जमीन पर नहीं होने के बावजूद तोड़ दिया था अखाड़ा
यह वही उत्तरी दिल्ली नगर निगम है, जिसके अधिकारियों ने नागलोई के एक दलित पार्षद के इलाके में अपनी जमीन पर नहीं होने के बावजूद एक व्यायामशाला को तोड़कर नेस्तनाबूत कर दिया था। खुद निगम अधिकारियों ने माना था कि अखाड़े की जमीन नगर निगम की नहीं है। यह अखाड़ा व्यावसायिक नहीं था और सामान्य लोगों के उपयोग में आता था। लेकिन करोलबाग के इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स से करोड़ों रूपये की कमाई की जा रही है। यही कारण है कि करोलबाग इलाके में बिल्डरमाफिया के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। अब देखना यह है कि नगर निगम में सत्ताधारी दल बीजेपी के नेता इस मामले में अपने अधिकारियों से कब तक और किस प्रकार की कार्रवाई करवा पाते हैं।