आखिर कौन है दिल्ली बीजेपी का सलाहकार…? हर पल बढ़ रहा केजरीवाल का आकार!

-नेताओं की नासमझी डुबा रही दिल्ली बीजेपी की लुटिया
-कोरोना के इलाज व एलजी के हस्तक्षेप पर भी पिटी बीजेपी
-केजरीवाल के बिछाए जाल में फंस रहे दिल्ली बीजेपी के नेता

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का ‘दंभ’ भरने वाली भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई की टीम राजधानी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस बॉल पर चौका लगाते हैं, दिल्ली बीजेपी की पूरी टीम मैदान में इस बात का जश्न मनाने लगती है कि हमने छक्का नहीं लगने दिया। इसी जश्न से उत्साहित बीजेपी के सारे खिलाड़ी अगली बॉल पर गच्चा खा जाते हैं और केजरीवाल को उसी एक बॉल पर छक्के के साथ एक्स्ट्रा रन भी दे बैठते हैं।

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जी हां, ऐसा ही कुछ दिल्ली के अस्पतालों में दिल्ली वालों के इलाज के मामले में हुआ है। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का फैसला तो बदल दिया है। लेकिन दिल्ली बीजेपी इस मुद्दे पर खुद गच्चा खा गई है। आने वाले दिनों में कोरोना के मरीज लगातार बढ़ेंगे, लेकिन तब भारतीय जनता पार्टी उनके अस्पतालों में भर्ती होने या इलाज में कमी पर सवाल नहीं उठा सकेगी। क्योंकि केजरीवाल के पास एक ही जवाब होगा कि हमने तो दिल्ली वालों के लिए इंतजाम किए थे, बीजेपी ने पूरे देश से बीमारों को दिल्ली में लाकर भर्ती करवा दिया है।

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इसके साथ ही केंद्र सरकार के अस्पतालों जैसे कि ऑल इंडिया मेडिकल साइंसेज (एम्स), सफदरजंग अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पतालों के साथ भी तुलना की जाएगी। खास बात है कि केंद्र सरकार के इन अस्पतालों में ही सबसे ज्यादा अव्यवस्थाओं और स्टॉफ की ओर से विरोध की खबरें भी आ रही हैं। इसलिए अब बीजेपी कोरोना के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार को नहीं घेर पाएगी।

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सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर दिल्ली बीजेपी का सलाहकार कौन है? वह लो-प्रोफाइल नेता? जो कि अब तक निवर्तमान अध्यक्ष मनोज तिवारी को सलाह दे रहे थे और अब प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के सलाहकार बने हुए हैं? या फिर वह संघ पदाधिकारी, जो तब भी सलाहकार थे और अब भी पार्टी को पिटवाने वाली सलाह दे रहे हैं? दिल्ली बीजेपी नेताओं के साथ पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व इस बात पर भले ही खुश हो ले कि उसने उपराज्यपाल के द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दो फैसले बदलवा दिए।

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लेकिन आने वाले दिनों में इस फैसले को बदलवाने का जवाब खुद बीजेपी को ही देना पड़ेगा। क्योंकि केजरीवाल सरकार ने तो उपराज्यपाल द्वारा पहली बार बुलाई सर्वदलीय बैठक में भी कह दिया है कि आने वाले दिनों में दिल्ली में कोरोना के मरीजों की संख्या लाखों के पार पहुंचने वाली है। तब इस बात का बीजेपी और उपराज्यपाल के पास कोई जवाब नहीं होगा कि बिना तैयारियों के उन्होंने देशभर के कोरोना के मरीजों का ठेका दिल्ली सरकार पर क्यों डाला था?

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उपराज्यपाल के फैसले पर जिस तरह से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम ने प्रतिक्रिया दी है, वह और भी चौंकाने वाली है। इसका सीधा सा मतलब है कि उन्होंने जैसा तय किया था, उसी के अनुसार बीजेपी के नेता आम आदमी पार्टी के जाल में फंस गए हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद कहा है कि शायद भगवान भी यह चाहता है कि हम पूरे देश के लोगों की सेवा करें। उन्होंने यह भी कहा है कि यह विरोध करने का समय नहीं है, विचारों की मतभिन्नता प्रदर्शित करने का समय नहीं है। लेकिन उपराज्यपाल ने दिल्ली वालों को गंभीर संकट में डाल दिया है। आने वाले दिनों में दिल्ली में कोरोना पीड़ितों का आंकड़ा 5 लाख से भी ऊपर जा सकता है।

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आने वाले दिनों में दिल्ली वालों को कुछ इसी तरह की तस्वीर का सामना करना होगा। उस समय भारतीय जनता पार्टी के नेता यह आरोप तो लगाएंगे कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कारोना से निपटने की कोई तैयारी नहीं की थी। लेकिन इस बात का जवाब नहीं दे पाएंगे कि जब तैयारी ही नहीं थी तो देश भर के लोगों को यहां भर्ती करवाने की छूट उपराज्यपाल से किसलिए दिलवाई थी?
हम बात कर रहे हैं दिल्ली के सियासी मैदान की, जहां मुख्यमंत्री केजरीवाल साल 2013 से नॉटआउट बैटिंग करते आ रहे हैं। मुश्किल यह है कि भारतीय जनता पार्टी की विशेषज्ञ खिलाड़ियों की टीम आम आदमी पार्टी की सलामी बल्लेबाजों की जोड़ी को ही नहीं तोड़ पा रही है। फिर उससे पूरी टीम को आउट करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। कांग्रेस-बीजेपी के आपसी संघर्ष की बात अलग थी, लेकिन 2013 से तो बीजेपी को उन केजरीवाल का सामना करना पड़ रहा है, जो सुबह उठते ही दिल्ली के मीडिया और सियासी दलों के लिए स्क्रिप्ट तैयार करके छोड़ देते हैं और बीजेपी-कांग्रेस के नेता पूरे दिन उसी स्क्रिप्ट का हिस्सा बनकर अपनी भूमिका निभाते रहते हैं।
दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना पीड़ितों के इलाज के बारे में भी कुछ यही हुआ। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सरकारी और प्राईवेट अस्पतालों में केवल दिल्ली के कोरोना पीड़ितों का इलाज होगा। यह व्यवस्था शुरू होने से पहले ही दिल्ली बीजेपी के तीरंदाज मैदान में कूद पड़े और और अपने उन्हीं पुराने तीरों से केजरीवाल का शिकार करना चाहा, जिन्हें वह 2013, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आजमा चुके हैं। खास बात तो यह है कि 1998 के बाद से कांग्रेस के खिलाफ भी आजमाते आ रहे हैं।
घर बैठे गंवा दिया स्टेडियम में इलाज का मुद्दा
दिल्ली के इंडोर स्टेडियमों में कोरोना के इलाज का मुद्दा बीजेपी ने बैठे-बिठाए गंवा दिया है। जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरवाल ने दिल्ली के सांसदों के साथ वीडियो कांफ्र्रेंसिंग के जरिए बैठक की थी, तब दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़़ी ने सुझाव दिया था कि कोरोना के इलाज के लिए मुंबई की तरह दिल्ली में भी इंडोर स्टेडियमों में व्यवस्था की जानी चाहिए। लेकिन उनकी पार्टी बीजेपी ने ही इस मुद्दे पर कभी जोर नहीं दिया। अब खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि वह दिल्ली के स्टेडियमों को कोरोना के इलाज के लिए तैयार करेंगे। सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि दिल्ली बीजेपी के सलाहकार इस मामले में भी गच्चा खा गए।
नहीं चला विज्ञापन का मुद्दा
दिल्ली बीजेपी ने पिछले दिनों दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा अखबारों और चैनल्स में दिए जा रहे विज्ञापनों का मुद्दा उठाया था। लेकिन यह मुद्दा उठने से पहले ही धराशायी हो गया। दिल्ली बीजेपी के सलाहकारों की समझ में यह नहीं आया कि जिस मीडिया को मिलने वाले विज्ञापनों के विरोध में यह मुद्दा उठाया जा रहा है, वही मीडिया इसके खिलाफ विरोध की खबरों को क्यों दिखाएगा या चलाएगा। हालत यह रही कि दिल्ली बीजेपी ने दावा किया कि उसने पूरी दिल्ली में केजरीवाल की विज्ञापन नीति के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया है। लेकिन किसी भी बड़े चैनल या अखबार ने इस खबर को नहीं उठाया।