बीजेपी के नक्शेकदम पर आम आदमी पार्टी… नगर निगमों को कमजोर कर रहे दोनों!

-बीजेपी के कमजोर नेतृत्व की वजह से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर मुख्यमंत्री केजरीवाल की नजरः मुकेश गोयल
-नगर निगम को मिलकर पंगु बनाने में जुटे भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टीः मुकेश गोयल
-बीजेपी ने नगर निगम से छीने डीटीसी, फायर ब्रिगेड, जल बोर्ड, बिजली बोर्ड और लेआउट प्लानः गोयल

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता और वरिष्ठ निगम पार्षद मुकेश गोयल ने नगर निगम की लगातार गिरती आर्थिक हालत के लिए भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार के विभागों की हालत सुधारने के बजाय नगर निगम की शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर नजरें गढ़ाए बैठे हैं। यही कारण है कि निगमों को पैसा देने के बजाय दिल्ली सरकार की ओर से वकील ने हाई कोर्ट में कहा है कि सरकार नगर निगम की शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को टेकओवर करने के लिए तैयार हैं।

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मुकेश गोयल ने कहा कि नगर निगम को कमजोर करने का जो काम 1970 के दशक से भारतीय जनता पार्टी ने शुरू किया था, उसी काम को अब आम आदमी पार्टी आगे बढ़ा रही है। दिल्ली के तीनों नगर निगमों की सत्ता वाला बीजेपी नेतृत्व पूरी तरह से कमजोर और अक्षम साबित हो रहा है। इसके चलते नगर निगम लगातार कमजोर हो रहे हैं और इसका लाभ आम आदमी पार्टी की सरकार उठा रही है।

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मुकेश गोयल ने कहा कि नगर निगम से सबसे पहले बीजेपी ने श्री विजय कुमार मलहोत्रा के कार्यकाल में 1971 में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को छीन लिया था। इसके पश्चात जब दिल्ली में बीजेपी 1993 में सत्ता में आई तो तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय मदन लाल खुराना के कार्यकाल के दौरान 1994 में नगर निगम से फायर ब्रिगेड को छीन लिया गया था। इसके पश्चात जब बीजेपी के ही स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा मुख्यमंत्री बने तो 1997 में बिजली (डेसू) और जल बोर्ड को नगर निगम से छीनकर दिल्ली सरकार को दे दिया गया था।

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मुकेश गोयल ने आगे कहा कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थानीय निकायों को मजबूत बनाने की बात करते हैं। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार भी दिल्ली के नगर निगमों को कमजोर करने में पीछे नहीं है। पिछले साल 2019 में अनियमित कालोनियों के लेआउट प्लान और बिल्डिंग प्लान बनाने का काम भी नगर निगमों से छीन लिया है। जबकि इससे पहले तक यह जिम्मेदारी नगर निगम की थी और इससे निगमों को पैसा मिलना था। उन्होंने मांग की कि दिल्ली के नगर निगमों को तुरंत भंग किया जाना चाहिए, ताकि निगमों के बचे-खुचे सिस्टम को बचाया जा सके।