-निगम को अपने कब्जे में लेनी थी फतेहपुरी स्थित चार क्लबों की अरबों रूपये की जमीन
-निगम आयुक्त के बजट भाषण से हुआ खुलासा, चार में से तीन क्लब ही कराये गये खाली
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
आर्थिक तंगी झेल रहे उत्तरी दिल्ली नगर निगम का एक और कारनामा सामने आया है। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने स्थित चार क्लबों को खाली करवाया जाना था, लेकिन चार में से एक क्लब का नाम ही गायब कर दिया गया। यह खुलासा खुद उत्तरी दिल्ली के निगम आयुक्त संजय गोयल द्वारा 25 नवंबर को स्थायी समिति की बैठक में पेश किये गये बजट से हुआ है।
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बता दें कि पुरानी दिल्ली के बागदीवार (चर्चमिशन रोड) पर स्थित नेशनल क्लब, राधेमोहन क्लब, यूनियन क्लब और यंगमैन टेनिस क्लब को खाली करवाकर उत्तरी दिल्ली नगर निगम को अपने कब्जे में लेना था। बताया जा रहा है कि चारों क्लबों की जमीन करीब 300 करोड़ रूपये की है। लेकिन निगम आयुक्त ने अपने बजट भाषण में बताया है कि इनमें से राधेमोहन क्लब, यूनियन क्लब और यंगमैन टेनिस क्लब को खाली करा लिया गया है।
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निगम आयुक्त के मुताबिक इन तीनों क्लबों से खाली करायी गई जमीन करीब 10 हजार वर्ग गज है और लगभग 200 करोड़ रूपये कीमत की है। निगम आयुक्त ने अपने बजट भाषण में नेशनल क्लब का जिक्र नहीं किया है और नाही यह बताया है कि इस क्लब को खाली करवाकर नगर निगम ने अपने कब्जे में क्यों नहीं लिया? जबकि नेशनल क्लब सबसे ज्यादा प्राइम लोकेशन पर है। बताया जा रहा है कि इस खेल में नगर निगम के कुछ नेता व अधिकारी शामिल हैं और अंदरखाने बड़ा खेल कर दिया गया है।
ये है पूरी कहानीः
गौरतलब है कि निगम आयुक्त की ओर से पहले स्थायी समिति की बैठक में चारों क्लबों को खाली कराने का प्रस्ताव स्थायी समिति में लाया गया था। इसके बाद प्रस्ताव संख्याः 210 दिनांकः 19 मार्च, 2021 को सदन की बैठक में लाया गया था। बताया जा रहा है कि प्रस्ताव को रोके जाने के लिए काफी राजनीतिक हस्तक्षेप भी किया गया था। सदन की बैठक में प्रस्ताव को पास किये जाने के बाद चारों क्लबों के कब्जे से सरकारी जमीन को खाली कराये जाने का रास्ता साफ हो गया था। इन चार क्लबों से सरकारी जमीन खाली कराने के लिए इसी साल बुधवार 10 मार्च को स्थायी समिति की बैठक में एक प्रस्ताव आइटम संख्याः 136 के तहत लाया गया था। लेकिन इसे उस बैठक में स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद इस प्रस्ताव को पुनः 19 मार्च की स्थायी समिति की बैठक में लाया गया था और इसे पास कर दिया गया था। इसके बाद ही स्थायी समिति की ओर से प्रस्ताव संख्याः 210 सदन की बैठक में मंजूरी के लिए लाया गया था, ताकि चारों क्लबों के कब्जे में वर्षों से चली आ रही सरकारी जमीन को खाली कराया जा सके।
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बता दें कि फतेहपुरी स्थित क्वीन्स गार्डन (बाग दीवार) की जमीन को नेशनल क्लब, राधे मोहन क्लब, यूनियन क्लब और यंगमैन टेनिस क्लब को टेनिस जैसे खेलों और सामाजिक गतिविधियों के आयोजन के लिए दिया गया था। बताया जा रहा है कि अब इन क्लबों में किसी तरह के खेलों का आयोजन नहीं किया जाता, बल्कि नाम के लिए टेनिस कोर्ट खड़े हुए हैं। इन क्लबों से कभी कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं निकला जिसने जिला, राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर कोई पहचान बनाई हो।
वहीं क्लबों के संचालकों द्वारा अरबों रूपये की इस सरकारी जमीन का उपयोग शादियों व अन्य समारोहों के लिए बुकिंग करके कमर्शियल तौर पर किया जा रहा था और लोगों से हर महीने लाखों रूपयों की वसूली की जा रही है। जबकि नगर निगम आर्थिक तंगी झेल रहा है और उसे अपनी इस जमीन से कोई आमदनी नहीं हो रही है। इनमें से यंगमैन टेनिस क्लब, राधे मोहन क्लब और यूनियन क्लब के प्रबंधन को सरकारी जमीन खाली करने के लिए पब्लिक प्रीमिसेज एक्ट- 1971 के तहत नोटिस जारी किये गए थे।
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इसी तरह नगर निगम के कानूनी विभाग ने नेशनल क्लब की जमीन को भी पब्लिक प्रीमिसेज एक्ट- 1971 के तहत खाली कराने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था। बीते 19 मार्च को हुई स्थायी समिति की बैठक में नेशनल क्लब को टेनिस के खेल और दूसरी गतिविधियां आयोजित करने के लिए जारी की अनुमति को रद्द करने का प्रस्ताव पास कर दिया था, जिसे अब सदन की बैठक में भी पारित कर दिया गया। नेशनल क्लब को नगर निगम ने यह अनुमति 26 फरवरी 2007 को प्रस्ताव संख्याः 857 के जरिए दी थी।
बता दें कि नेशनल क्लब के पास 3 हजार 88 वर्ग गज सरकारी जमीन है। जबकि बाकी तीनों क्लबों के पास भी 3-3 हजार वर्ग गज के आसपास ही सरकारी जमीन है। प्राप्त सूचना के मुताबिक इन क्लबों को यह जमीन आजादी से पहले दी गई थी। फतेहपुरी अंडर ग्राउंड पार्किंग के पास की जमीन शुरूआत में बीडन क्लब को दी गई थी, बाद में उसे नेशनल क्लब के नाम से जाना गया। खास बात यह है कि इन क्लबों को दी गई जमीन के बारे में कभी भी नगर निगम और क्लबों के प्रबंधन के बीच कोई लीज डीड नहीं बनाई गई है। बताया जा रहा है कि 2007 में नेशनल क्लब के लिए मासिक शुल्क 15 हजार रूपये तय किया गया था, जो कि क्लब प्रबंधन की ओर से अगस्त 2020 तक का जमा कराया है।
बताया जा रहा है कि इन चार में से एक क्लब पर नगर निगम के ही एक पूर्व यानी रिटायर्ड अधिकारी का कब्जा है। भारी आर्थिक तंगी झेल रहे उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों का मानना है कि रेलवे स्टेशन के सामने स्थित अरबों रूपये की सरकारी जमीन को खाली करवाकर कोई बड़ी परियोजना शुरू की जा सकती है, जिससे निगम को अच्छी आमदनी शुरू हो सकती है।